धर्म से या कर्म से ?
आज के जमाने में असमंजस इतना अधिक हो गया है कि समझ में ही नहीं आता कि व्यक्ति अपने धर्म की दिशा को किस ओर लेके जा रहा है।
नमस्कार, मेरा नाम कपिल डंग है परिचय तो कुछ बड़ा नही है फिर भी आपके समक्ष विचारों का कुछ ऐसा सैलाब पेश करने की कोशिश करूंगा जिसमे मैं स्वयं गोते खा चुका हूं और शायद अभी भी इसी में विचाराधीन हूं।
इन विचारों में ही आज का युवा कुछ भूतकालिक स्तंभों की महत्त्वता को समझने में नाकाम हो रहा है, माफ कीजिएगा मैं सभी की बात नहीं करता क्योंकि मुझसे भी बड़े ज्ञानवान इन विषयों पे लिख चुके होंगे या अभी भी लिख रहे होगें, मैं तो इन सभी में अपने आप को एक निम्न श्रेणी में रखता हूं।
तो मिलते है इन्ही कुछ विचारों को समझते हुए और समझाते हुए अपने अगले ब्लॉग में...
धन्यवाद 🙏🏻
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